कोरोना और लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर पड़ा है लोगों की रोजी रोटी पर, काम-धंधे पर। कई लोगों का तो काम ठप्प हो गया, जबकि कई लोगों ने अपने पुराने काम को छोड़कर नए तरीके निकाले। दक्षिणी भारत तिरुवनंतपुरम में एक लक्जरी रिसॉर्ट कोरोना के बाद से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा था। व्यापार डूबने वाला ही था कि बंदे ने स्विमिंग पूल को ही मछली फार्म में बदल दिया है।विदेशी लोगों से भरा रहता था कभीकेरल राज्य में है ये अवेडा रिजॉर्ट। यहां 150 मीटर (500 फीट) का पूल कभी विदेशी पर्यटकों से भरा ही रहता था। ये बात कोरोना से पहले की है। लेकिन अब यहां हजारों मछलियां तैर रही हैं। बता दें कि वहां लॉकडाउन की घोषणा हुई, तो तब इसे भी मार्च में बंद करना पड़ा। ऐसे में इस स्विमिंग पूल का वैकल्पिक उपयोग किया जा सके, इसको लेकर सोचा गया। इसी तर्ज पर यहां मछली पालन शुरू कर दिया गया।जीरो कमाई हुई थीअवेडा के महाप्रबंधक ज्योतिष सुरेन्द्रन ने एएफपी को बताया, ‘जून में हमारी जीरो कमाई हुई, इसलिए हमने लगभग 16,000 दो महीने की मोती की छाप वाली मछलियों (pearl spot fishes) को पूल में रखा।’ बता दे कि इस मछली को पूर्ण आकार तक पहुंचने में आठ महीने तो लगते ही हैं। दक्षिण भारत और मध्य पूर्व के व्यंजनों में काफी फेमस है।कर रहे हैं कमाईसुरेंद्रन ने कहा, ‘नवंबर तक हम कटाई करने और मध्य पूर्व में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं।’ स्विमिंग पूल में बढ़ने वाली मछलियों के वजन में चार टन होने का अनुमान लगाया गया है। बाजार में उनकी कीमत 40,000 डॉलर हो सकती है। यानी 29 लाख के आसपास। हालांकि होटल मालिक को लगता था कि मछली का यह बिजनेस महामारी के नुकसान को कवर नहीं कर सकेगा। लेकिन सुरेंद्रन को ये भरोसा था कि इस पैसे से रिजॉर्ट के बाकी बिल कवर हो सकेंगे।नहीं छोड़ेंगे ये बिजनेसऔर अवेडा रिजॉर्ट की योजना है कि जब व्यापार फिर से शुरू भी हो जायेगा, तब भी वे अपनी मोती की छाप वाली मछलियों को पाले रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम इस फार्म को पूल में जारी नहीं रख सकते हैं लेकिन हम किसी और जगह जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं, बड़ी परियोजनाओं के लिए पूल का निर्माण कर सकें।’All Images Source: AFP