करहते हैं की अगर इंसान में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो वो सबकुछ हासिल कर सकता है. आविष्कारों की कृतियों मेंयदि मानव का प्यार नही हैसृजनहीन विज्ञान व्यर्थ हैप्राणी का उपकार नही हैभौतिकता के उत्थानों मेंजीवन का उत्थान न भूलें. परंतु एक दुर्घटना के दौरान उनके पति व ससुरजी की मृत्यु ने उनके सुखी जीवन की डोर को दुर्बल बना दिया. संगीता पिंगळे मानती है की ऐसी कठिन परिस्थिती, आत्मबल की परीक्षा का समय होता है. संगीता ने अपनी सासूमां के साथ, अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त बाकी सभी कर्तव्यों को निभाने का कार्य किया.


Source:   Dainik Jagran
February 29, 2024 13:10 UTC