इस समय भारत की हालत यह है कि विपणन की समुचित व्यवस्था नहीं है. हालांकि कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण बढ़ा है, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण की वृद्धि दर अत्यंत कम हो गई है. जोत का छोटा आकार होने के कारण कृषक अपनी जोत पर आधुनिक कृषि निवेशों का सम्यक प्रयोग नहीं कर पाते हैं, क्योंकि इन जोतों पर आधुनिक कृषि निवेशों का प्रयोग और अनार्थिक हो जाता है. इन क्षेत्रों की कृषि के पिछड़ेपन का समाधान करने और उसे सक्षम बनाने के लिए ऐसे बीजों की प्रचलन की आवश्यकता है. अतः यह आवश्यक है कि समरूप कृषि क्षेत्र का पता लगाया जाए और क्षेत्र की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप बीजों और कृषि प्रणालियां का प्रचलन किया जाए.