जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। एम्स के नेफ्रोलाजी विभागाध्यक्ष डॉ. भौमिक ने कहा कि विश्व में इंसानों की मौत का सातवां सबसे बड़ा कारण किडनी की बीमारी है। हर छह महीने में पेशाब की जांच कराने पर समय से किडनी की बीमारी का पता लगाया जा सकता है। बीमारी का पता चलने पर तुरंत उपचार शुरू करना चाहिए।विश्व किडनी दिवस पर बुधवार को एम्स में ‘किडनी हेल्थ फार आल’ थीम पर आयोजित व्याख्यान में डॉ. भौमिक ने बताया कि किडनी से संबंधित सबसे ज्यादा समस्या डायबिटीज और बीपी के मरीजों को होती है। इन बीमारियों में किडनी के फिल्टर जल्दी खराब होने लगते है। ऐसे में उन्हें विशेष तौर पर किडनी की नियमित जांच करानी चाहिए।महिलाओं में किडनी की समस्या सबसे ज्यादाविभागाध्यक्ष ने बताया कि आमतौर पर महिलाओं में किडनी की बीमारी ज्यादा होती है। इसका कारण मोटापा और डिलीवरी के समय अधिक ब्लीडिंग है। इसके अलावा पेन किलर दवाएं भी किडनी की खराबी का बहुत बड़ा कारण है।आजकल लोग हफ्ते में कई बार पेन किलर टेबलेट लेते हैं, जो कि बहुत खतरनाक है। यदि ज्यादा समस्या है कि तीन चार दिन में कम मात्रा में दर्द की दवा ले सकते हैं। डॉ. भौमिक ने कहा कि वर्तमान में देश में किडनी दान करने को लेकर जागरूकता भी बहुत कम है।