गोरखपुर (ब्यूरो)। घने इलाकों और अपार्टमेंट के बेसमेंट में सेल्युलर नेटवर्क की बड़ी समस्या होती है। यहां मोबाइल फोन से भी मुश्किल से बात हो पाती है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर नेटवर्क के आधार पर बिल बनाने से लगायत खपत व अन्य जरूरी ङ्क्षबदुओं की जानकारी देता है। नेटवर्क न होने से बिजली तो मिलती रहेगी लेकिन बिल और खपत को लेकर मीटर से साफ्टवेयर तक कोई सूचना नहीं पहुंच पाएगी। रेडियो फ्रिक्वेंसी से मीटर का नेटवर्क जुडऩे से इंटरनेट की समस्या नहीं रहेगी। जीनस के मैनेजर राकेश ङ्क्षसह ने कहा कि अपार्टमेंट और घने इलाकों में सेल्युलर नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता है। ऐसी स्थिति में बिल बनाने या मीटर पर नजर रखने में दिक्कत होती है। इस कारण यहां रेडियो फ्रिक्वेंसी नेटवर्क से मीटर को जोड़ा जाएगा।डाटा कंट्रोलर यूनिट लगाई जाती हैरेडियो फ्रिक्वेंसी नेटवर्क तक पहुंच के लिए जीनस कंपनी जगह-जगह डाट कंट्रोलर यूनिट लगाएगी। यह यूनिट घनी आबादी या अपार्टमेंट के बाहर स्थित बिजली के पोल पर भी लगाई जा सकती है। इससे नेटवर्क बना रहेगा।पाम पैराडाइज में लग सके हैं सिर्फ 30 मीटरपाम पैराडाइज में दो सौ से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। बेसमेंट में मीटर लगाने की जगह होने के कारण जीनस कंपनी ने रेडियो फ्रिक्वेंसी नेटवर्क से जोड़कर 30 मीटर लगा दिए हैं। इसके बाद कुछ नागरिकों ने विरोध शुरू कर दिया। इस कारण मीटर नहीं लगाए जा पा रहे हैं। जीनस कंपनी ने वितरण के अभियंताओं को इसकी जानकारी दे दी है।यह है रेडियो फ्रिक्वेंसीरेडियो फ्रीक्वेंसी वायरलेस संचार में उपयोग की जाने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों की एक श्रृंखला को संदर्भित करता है। रेडियो फ्रिक्वेंसी इंटरनेट नेटवर्क इंटरनेट स्रोत और उपयोगकर्ता उपकरणों के बीच डेटा पैकेट संचारित करने के लिए इन रेडियो तरंगों का लाभ उठाता है। मानक वायर्ड नेटवर्क के विपरीत, यह नेटवर्क रेडियो तरंगों के माध्यम से डेटा ले जाते हैं।


Source:   Dainik Jagran
November 14, 2024 13:06 UTC